रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो
तो भी एक अच्छा जूता पहनकर उस पर चला जा सकता हैं
लेकिन....
यदि एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ हो तो एक अच्छी सड़क पर भी कुछ कदम भी चलना मुश्किल हो जाता हैं।
मतलब....
बाहर की चुनोतियों से नहीं
हम अपनी अंदर की कमजोरियों से हारते हैं.
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