Saturday, February 27, 2016

आँगन की तुलसी बनकर























आँगन की तुलसी बनकर
घर महकाती  है बेटियाँ

मस्ती में मुंह लटकाकर
सब को  हसांती है बेटियाँ

सब को  चाह है बेटो की
क्युँ नहीं  चाहिए बेटियाँ

बाबुल का घर छोड़कर अजनबी
 मकान को घर बनाती है बेटियाँ 

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