स्वर्ग का सपना छोड़ दो,
नर्क का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप ,
क्या पुण्य,
बस...
किसी का दिल न दुखे
अपने स्वार्थ के लिए,
बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो —
नर्क का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप ,
क्या पुण्य,
बस...
किसी का दिल न दुखे
अपने स्वार्थ के लिए,
बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो —
is sansar me sub ka dil dukhega aur sabhi swarthi hai. Agar narag ka dar chod doge to narag jana hi padega. Kyuki apko jab pata hi nahi hoge paap kya hai aur puneya kya hai. Tab kaise decision loge.
ReplyDeleteNice concept
ReplyDelete