हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर कविता
अगर बिकी तेरी दोस्ती
तो पहले ख़रीददार हम होंगे ...
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है
दोस्त ना हो तो महफिल भी *श्मशान है
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है
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