विचार बहते हुए जल की तरह हैं।
यदि आप उसमें गन्दगी मिलाएँगे तो वह नाला बन जायेगा,
और सुगंध मिलाएंगे तो वही गंगाजल बन जायेगा।
जीवन में जो भी करो, पूरे समर्पण के साथ करो।
प्रेम करो तो मीरा की तरह।
प्रतीक्षा करो तो शबरी की तरह।
भक्ति करो तो हनुमान की तरह।
शिष्य बनो तो अर्जुन के समान।
और मित्र बनो तो स्वयं कृष्ण के समान।
करके देखो आसान है।
यदि आप उसमें गन्दगी मिलाएँगे तो वह नाला बन जायेगा,
और सुगंध मिलाएंगे तो वही गंगाजल बन जायेगा।
जीवन में जो भी करो, पूरे समर्पण के साथ करो।
प्रेम करो तो मीरा की तरह।
प्रतीक्षा करो तो शबरी की तरह।
भक्ति करो तो हनुमान की तरह।
शिष्य बनो तो अर्जुन के समान।
और मित्र बनो तो स्वयं कृष्ण के समान।
करके देखो आसान है।
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