विचार धारा....
जीभ जन्म से होती है, और मृत्यु तक रहती है…क्योकि वह कोमल होती है…
दाँत जन्म के बाद आते है, और मृत्यु से पहले चले जाते है…क्योंकि वह कठोर होते है…
कहने का तात्पर्य यह है कि –
निर्मल एवं छोटा बनकर रहोगे तो “सब साथ में रहेगा”
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार देती है
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पानी के बिना नदी बेकार,
अतिथि बिना आँगन बेकार,
प्रेम न हो तो अपने बेकार,
एवं
जीवन में गुरु न हो तो,
जीवन बेकार…
इसलिए जीवन में “गुरु” जरूरी है, “गुरुर” नहीं
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